धरती से आकाश , सब एक कर आने दो,
राजपुरोहित की बेटी हुँ, दो कदम आगे जाने दो।।
राजपुरोहित की बेटी हुँ, दो कदम आगे जाने दो।।
मेनें जिन्दगीं को बेबस और अक्सर दबते देखा है,
मेरी हर उडा़न को धरती पे उतरते देखा है,
बस एकबार हमें ,आसमान छु आने दो,
राजपुरोहित की बेटी हुँ, दो कदम आगे जाने दो।।
मेरी हर उडा़न को धरती पे उतरते देखा है,
बस एकबार हमें ,आसमान छु आने दो,
राजपुरोहित की बेटी हुँ, दो कदम आगे जाने दो।।
भाई-बहन में फर्क ,हमारे समाज का किस्सा है,
उसको हमेशा ज्यादा, हमारा हमेशा कम हिस्सा है।
पर हमें कुछ ना लेना, बस अरमान ना मर जाने दो,
राजपुरोहित की बेटी हुँ, दो कदम आगे जाने दो।।
उसको हमेशा ज्यादा, हमारा हमेशा कम हिस्सा है।
पर हमें कुछ ना लेना, बस अरमान ना मर जाने दो,
राजपुरोहित की बेटी हुँ, दो कदम आगे जाने दो।।
जिस घर जाउंगी, सबको हरदम साथ रखुगीं मैं,
भाई से ज्यादा, माँ-पापा का ख्याल रखुगीं मैं,
बेटी क्या होती हैं जागीरदारों की, ये बताने दो,
राजपुरोहित की बेटी हुँ, दो कदम आगे जाने दो।।
भाई से ज्यादा, माँ-पापा का ख्याल रखुगीं मैं,
बेटी क्या होती हैं जागीरदारों की, ये बताने दो,
राजपुरोहित की बेटी हुँ, दो कदम आगे जाने दो।।
घुंघट की आड़ में ,सब चुप रहने को कहते है,
पिहर में पराई होने का अहसास देते रहते है,
ससुराल से पीहर सबकी बेटी बन जाने दो,
और क्या मांगे उमा, जीत का जश्न मनाने दो,
राजपुरोहित की बेटी हुँ, दो कदम आगे जाने दो।।
पिहर में पराई होने का अहसास देते रहते है,
ससुराल से पीहर सबकी बेटी बन जाने दो,
और क्या मांगे उमा, जीत का जश्न मनाने दो,
राजपुरोहित की बेटी हुँ, दो कदम आगे जाने दो।।
उमाशंकर तोलियासर
हर राजपुरोहित को भेजे।
जय खेतेश्वर
हर राजपुरोहित को भेजे।
जय खेतेश्वर
Jai ho bhut sunder Kavita
ReplyDeleteJai Shri gurudevji khetaramji Maharaj ri sa