शीतल पेय के रुप मे खुलेआम बिक रहा मीठा जहर
सिणधरी।उपखंड मे गर्मी के मौसम में शीतल पेय पदार्थो के नाम पर सड़कों पर खुलेआम सेक्रिन द्वारा बनी आईस्क्रीम बेची जा रही है। गर्मी से व्याकुल लोग प्यास बुझाने के लिए शीतल पेय का उपयोग कर रहे हैं। किराणा की दुकानों पर बिकने वाले प्लास्टीक पाउच में पैकींग केमीकल से बनी पेप्सी को बेचकर बच्चों के स्वास्थय के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
चिलचिलाती धूप में ऐसे सामान का सेवन कर लोग बिमारिंयों को दावत दे रहे हैं। दूसरी ओर बर्फ फैक्ट्रियों के मालिक मांग अधिक होने के कारण उत्पादों की गुणवत्ता पर ध्यान दिये बगैर अधिक उत्पादन कर रहे हैं।
इसके निर्माण में गंदे जल के साथ साफ-सफाई को बिल्कुल नजर अंदाज किया जा रहा है। परिणाम है कि बीमारियों के मकड़जाल में लोग आसानी से फंसते जा रहे हैं। ऐसे में डाक्टरों के निजी क्लिनिक में मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होनी शुरू हो गयी है। इन मामलों के प्रति प्रशासन या फिर स्वास्थ्य विभाग मौन है।
चिलचिलाती धूप में सड़कों पर आते जाते लोग जहां भीषण गर्मी की चपेट में आ अपनी प्यास बुझाने के लिए शीतल पेय के दुकानों की ओर भाग रहे हैं,वहीं बाजार में नकली व मिलावटी पेय पदार्थो की बिक्री से उदर रोगों की शिकायतें बढ़ने लगी है।जानकारी के अभाव में लोग रुपये लगाकर भी नकली व मिलावटी सामानों की खरीदारी कर रहे हैं।
बाजारों में मिलने वाले विभिन्न प्रकार के सड़कों पर हल्ला मचाकर बेचने वाले रंग-बिरंगे आइसक्रीम का प्रयोग बच्चों के स्वास्थ्य के लिए पूर्णत: हानिकारक है।
गर्मी व तपिश के इस मौसम में मुहल्लों की गलियों में केमीकल निर्मित कुल्फियां धडे़ल से बेची जा रहीं है। जहां तक बाजारों में बेचे जा रहे मैंगो जूस व लस्सी का प्रश्न है तो सभी के सभी केमिकल से बनाये जा रहे हैं जिसे पी लोग बरबस बिंमारी को आमंत्रण दे रहे हैं। इन सारे मामलों में प्रशासन की चुप्पी से बुद्धिजीवियों में घोर निराशा है। बरहाल ऐसे मिलावटी सामानों की बिक्री पर अबिलम्ब रोक लगाने की जरूरत है। यह कार्य शासन-प्रशासन के स्तर से ही संभव है।
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